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'पंजीकृत डाक' अब नहीं रही; 50 वर्षों से चली आ रही यह सेवा अब समाप्त होने जा रही है!

 


नई दिल्ली: डाक विभाग की पंजीकृत डाक सेवा 1 सितंबर, 2025 से बंद हो जाएगी। 50 साल से भी ज़्यादा पुरानी इस सेवा को स्पीड पोस्ट में मिलाने का फ़ैसला लिया गया है। नौकरी के प्रस्ताव, क़ानूनी नोटिस और सरकारी पत्र-व्यवहार भेजने के लिए इनका व्यापक रूप से इस्तेमाल होता था। पंजीकृत डाक अपनी विश्वसनीयता, किफ़ायतीपन और वैधता के कारण काफ़ी लोकप्रिय हुई। डाक विभाग केवल पंजीकृत डाक सेवा बंद कर रहा है। पोस्ट बॉक्स सेवा बंद नहीं की जा रही है।


डाक विभाग का लक्ष्य स्पीड पोस्ट के अंतर्गत सेवाओं को एकीकृत करके ट्रैकिंग सटीकता, गति और दक्षता में सुधार करना है। 2011-12 में 244.4 मिलियन पंजीकृत डाक थे, जो 2019-20 में 25% घटकर 184.6 मिलियन रह गए। डिजिटल सेवाओं के प्रसार और निजी कूरियर व ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स सेवाओं से प्रतिस्पर्धा को इसका कारण माना जा रहा है।


बैंक, विश्वविद्यालय और सरकारी संस्थान पंजीकृत डाक पर ज़्यादा निर्भर थे। स्पीड पोस्ट की उच्च दर उन लोगों के लिए चिंता का विषय है जो नियमित रूप से पंजीकृत डाक का उपयोग करते हैं। पंजीकृत डाक की दर 25.96 रुपये और 20 ग्राम के लिए 5 रुपये थी। हालाँकि, स्पीड पोस्ट की दर 50 ग्राम के लिए 41 रुपये है। यह 20-25% अधिक है। इस मूल्य वृद्धि का असर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में डाक सेवाओं पर निर्भर छोटे व्यापारियों और किसानों पर पड़ सकता है।


'पंजीकृत डाक' शब्द के बजाय 'स्पीड पोस्ट' लिखा जाना चाहिए। उप महानिदेशक (डाक संचालन) दुष्यंत मुद्गल ने सभी विभागों को तुरंत तैयारी पूरी करने और इस महीने की 31 तारीख तक एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। सभी विभागों और निदेशालयों को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी वर्तमान प्रणाली को नई पद्धति में बदलने के लिए तुरंत कदम उठाएँ।

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